कौन पहचानेगा 'ज़र्रीं' मुझ को इतनी भीड़ में By Sher << जिस हुस्न की है चश्म-ए-तम... बात खोते जो इल्तिजा करते >> कौन पहचानेगा 'ज़र्रीं' मुझ को इतनी भीड़ में मेरे चेहरे से वो अपनी हर निशानी ले गया Share on: