जिस हुस्न की है चश्म-ए-तमन्ना को जुस्तुजू By Sher << दालान में सब्ज़ा है न ताल... कौन पहचानेगा 'ज़र्रीं... >> जिस हुस्न की है चश्म-ए-तमन्ना को जुस्तुजू वो आफ़्ताब में है न है माहताब में Share on: