इज़ाला हो गया ताख़ीर से निकलने का By Sher << मुँह-ज़बानी क़ुरआन पढ़ते ... दिला दे हम को भी साहब से ... >> इज़ाला हो गया ताख़ीर से निकलने का गुज़र गई है सफ़र में मिरे क़याम की शाम Share on: