इक दास्तान अब भी सुनाते हैं फ़र्श ओ बाम By Sher << हम-सरी उन की जो करना चाहे न जाने बाहर भी कितने आसेब... >> इक दास्तान अब भी सुनाते हैं फ़र्श ओ बाम वो कौन थी जो रक़्स के आलम में मर गई Share on: