इक हुस्न-ए-तसव्वुर है जो ज़ीस्त का साथी है By Sher << एक सीता की रिफ़ाक़त है तो... चले चलिए कि चलना ही दलील-... >> इक हुस्न-ए-तसव्वुर है जो ज़ीस्त का साथी है वो कोई भी मंज़िल हो हम लोग नहीं तन्हा Share on: