इक जाम-ए-मय की ख़ातिर पलकों से ये मुसाफ़िर By Sher << जोश-ए-जुनूँ में लुत्फ़-ए-... यारो नए मौसम ने ये एहसान ... >> इक जाम-ए-मय की ख़ातिर पलकों से ये मुसाफ़िर जारोब-कश रहा है बरसों दर-ए-मुग़ाँ का Share on: