इक ख़ूँ-चकाँ कफ़न में करोड़ों बनाओ हैं By Sher << कोई मुझ तक पहुँच नहीं पात... ज़ाहिर-परस्त ख़ल्क़ है ज़... >> इक ख़ूँ-चकाँ कफ़न में करोड़ों बनाओ हैं पड़ती है आँख तेरे शहीदों पे हूर की Share on: