इक मौज-ए-ख़ून-ए-ख़ल्क़ थी किस की जबीं पे थी By Sher << नमाज़-ए-इश्क़ तुम्हारी क़... अब भी बरसात की रातों में ... >> इक मौज-ए-ख़ून-ए-ख़ल्क़ थी किस की जबीं पे थी इक तौक़-ए-फ़र्द-ए-जुर्म था किस के गले में था Share on: