नमाज़-ए-इश्क़ तुम्हारी क़ुबूल हो जाती By Sher << कुछ समझ में मिरी नहीं आता इक मौज-ए-ख़ून-ए-ख़ल्क़ थी... >> नमाज़-ए-इश्क़ तुम्हारी क़ुबूल हो जाती अगर शराब से तुम ऐ 'रतन' वज़ू करते Share on: