शुबह 'नासिख़' नहीं कुछ 'मीर' की उस्तादी में By Sher << क्या क्या न मुझ से संग-दि... कहीं ऐसा न हो कम-बख़्त मे... >> शुबह 'नासिख़' नहीं कुछ 'मीर' की उस्तादी में आप बे-बहरा है जो मो'तक़िद-ए-'मीर' नहीं Share on: