इमसाल फ़स्ल-ए-गुल में वो फिर चाक हो गए By Sher << अल्लाह रे ज़ौक़-ए-दश्त-नव... शबनमी क़तरे गुल-ए-लाला पे... >> इमसाल फ़स्ल-ए-गुल में वो फिर चाक हो गए अगले बरस के थे जो गरेबाँ सिए हुए Share on: