इन दिनों गरचे दकन में है बड़ी क़द्र-ए-सुख़न By Sher << कौन रोता है किसी और की ख़... मोहब्बत एक पाकीज़ा अमल है... >> इन दिनों गरचे दकन में है बड़ी क़द्र-ए-सुख़न कौन जाए 'ज़ौक़' पर दिल्ली की गलियाँ छोड़ कर Share on: