'साजिद' तू फिर से ख़ाना-ए-दिल में तलाश कर By Sher << ये बरसों का तअल्लुक़ तोड़... कब तक नजात पाएँगे वहम ओ य... >> 'साजिद' तू फिर से ख़ाना-ए-दिल में तलाश कर मुमकिन है कोई याद पुरानी निकल पड़े Share on: