कब तक नजात पाएँगे वहम ओ यक़ीं से हम By Sher << 'साजिद' तू फिर से... मैं कि एक मेहनत-कश मैं कि... >> कब तक नजात पाएँगे वहम ओ यक़ीं से हम उलझे हुए हैं आज भी दुनिया ओ दीं से हम Share on: