इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई By Sher << जब भी दो आँसू निकल कर रह ... हुस्न का दामन फिर भी ख़ाल... >> इस आलम-ए-वीराँ में क्या अंजुमन-आराई दो रोज़ की महफ़िल है इक उम्र की तन्हाई Share on: