इस दर्द का इलाज अजल के सिवा भी है By Sher << ज़ख़्म अभी तक ताज़ा हैं ह... जैसे पौ फट रही हो जंगल मे... >> इस दर्द का इलाज अजल के सिवा भी है क्यूँ चारासाज़ तुझ को उम्मीद-ए-शिफ़ा भी है Share on: