इस गुलशन-ए-हस्ती का हर रंग निराला है By Sher << 'माजिद' ख़ुदा के ... अज़ल से बरसे है पाकीज़गी ... >> इस गुलशन-ए-हस्ती का हर रंग निराला है जब रोने लगी शबनम फूलों को हँसी आई Share on: