इस इत्तिफ़ाक़ को फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा समझ वाइज़ By Sher << मौसम-ए-बारान-ए-फ़ुर्क़त म... धो डालिए ख़ून 'मुसहफ़... >> इस इत्तिफ़ाक़ को फ़ज़्ल-ए-ख़ुदा समझ वाइज़ कि हज्व-ए-मय तिरे लब पर थी मुझ को होश न था Share on: