मौसम-ए-बारान-ए-फ़ुर्क़त में रुलाने के लिए By Sher << मैं नहीं हूँ नग़्मा-ए-जाँ... इस इत्तिफ़ाक़ को फ़ज़्ल-ए... >> मौसम-ए-बारान-ए-फ़ुर्क़त में रुलाने के लिए मोर दिन को बोल उठता है पपीहा रात को Share on: