इस ख़जालत ने अबद तक मुझे सोने न दिया By Sher << इसी ख़ातिर तो क़त्ल-ए-आशि... हुई गर सुल्ह भी तो भी रही... >> इस ख़जालत ने अबद तक मुझे सोने न दिया हिज्र में लग गई थी एक घड़ी मेरी आँख Share on: