इश्क़ है बे-गुदाज़ क्यूँ हुस्न है बे-नियाज़ क्यूँ By इश्क़, वफ़ा, हुस्न, Sher << अब यही दुख है हमीं में थी... मीर के बाद ग़ालिब ओ इक़बा... >> इश्क़ है बे-गुदाज़ क्यूँ हुस्न है बे-नियाज़ क्यूँ मेरी वफ़ा कहाँ गई उन की जफ़ा को क्या हुआ Share on: