मीर के बाद ग़ालिब ओ इक़बाल By Sher << इश्क़ है बे-गुदाज़ क्यूँ ... कहाँ शिकवा ज़माने का पस-ए... >> मीर के बाद ग़ालिब ओ इक़बाल इक सदा, इक सदी में गुज़री है Share on: