इश्क़ में शिकवा कुफ़्र है और हर इल्तिजा हराम By Sher << इलाही कश्ती-ए-दिल बह रही ... आज कुछ मेहरबान है सय्याद >> इश्क़ में शिकवा कुफ़्र है और हर इल्तिजा हराम तोड़ दे कासा-ए-मुराद इश्क़ गदागरी नहीं Share on: