इश्क़ की फ़ितरत ने यूँ बदला मज़ाक़-ए-ज़िंदगी By Sher << जला आशियाँ जब से दिल मुतम... इश्क़ की अल्लाह रे फ़ित्न... >> इश्क़ की फ़ितरत ने यूँ बदला मज़ाक़-ए-ज़िंदगी जितने ग़म बढ़ने लगे उतनी ख़ुशी होने लगी Share on: