जला आशियाँ जब से दिल मुतमइन है By Sher << मिरा आना जहाँ में मुनहसिर... इश्क़ की फ़ितरत ने यूँ बद... >> जला आशियाँ जब से दिल मुतमइन है न बिजली का ख़तरा न धड़का ख़िज़ाँ का Share on: