इसी मिट्टी से हसब और नसब था अपना By Sher << आज कुछ रंग दिगर है मिरे घ... ज़ात के पर्दे से बाहर आ क... >> इसी मिट्टी से हसब और नसब था अपना क्यूँ हुए शहर में आवारा बहुत मत पूछो Share on: