आज कुछ रंग दिगर है मिरे घर का 'ख़ालिद' By Sher << दोनों का मिलना मुश्किल है... इसी मिट्टी से हसब और नसब ... >> आज कुछ रंग दिगर है मिरे घर का 'ख़ालिद' सोचता हूँ ये तिरी याद है या ख़ुद तू है Share on: