इतनी न बढ़ा पाकी-ए-दामाँ की हिकायत By Sher << सदा अपनी रविश अहल-ए-ज़मान... जीते-जी क़द्र बशर की नहीं... >> इतनी न बढ़ा पाकी-ए-दामाँ की हिकायत दामन को ज़रा देख ज़रा बंद-ए-क़बा देख Share on: