जाँ-कनी पेशा हो जिस का वो लहक है तेरा By Sher << दुख़्त-ए-रज़ ज़ाहिद से बो... जिस्म को पढ़ते रहे वो रूह... >> जाँ-कनी पेशा हो जिस का वो लहक है तेरा तुझ पे शीरीं है न 'ख़ुसरव' का न फ़रहाद का हक़ Share on: