जाम-ए-अक़ीक़ ज़र्द है नर्गिस के हाथ में By बसंत, Sher << 'मुसहफ़ी' अब इक ग... तुम्हारी याद का मरहम बनाम... >> जाम-ए-अक़ीक़ ज़र्द है नर्गिस के हाथ में तक़्सीम कर रहा है मय-ए-अर्ग़वाँ बसंत Share on: