जाँ-सिपारी दाग़ कत्था चूना है चश्म-ए-इन्तिज़ार By Sher << तेरे न हो सके तो किसी के ... जम्हूरियत के बीच फँसी अक़... >> जाँ-सिपारी दाग़ कत्था चूना है चश्म-ए-इन्तिज़ार वास्ते मेहमान ग़म के दिल है बीड़ा पान का Share on: