जब भी की तहरीर अपनी दास्ताँ By Sher << दिल-ए-मुज़्तर वफ़ा के बाब... 'अनवर' मिरी नज़र ... >> जब भी की तहरीर अपनी दास्ताँ तेरी ही तस्वीर हो कर रह गई Share on: