जब बिगड़ते हैं बात बात पे वो By Sher << मैं ख़ुद को देखूँ अगर दूस... क़लम सिफ़त में पस-अज़-मरा... >> जब बिगड़ते हैं बात बात पे वो वस्ल के दिन क़रीब होते हैं Share on: