जब ग़म हुआ चढ़ा लीं दो बोतलें इकट्ठी By मिज़ाह, Sher << ये कच्चे सेब चबाने में इत... शायरी फूल खिलाने के सिवा ... >> जब ग़म हुआ चढ़ा लीं दो बोतलें इकट्ठी मुल्ला की दौड़ मस्जिद 'अकबर' की दौड़ भट्टी Share on: