जब मस्लहत-ए-वक़्त से गर्दन को झुका कर By Sher << जी में आता है कि 'शौक... इस फ़ैसले पे लुट गई दुनिय... >> जब मस्लहत-ए-वक़्त से गर्दन को झुका कर वो बात करे है तो कोई तीर लगे है Share on: