ज़बाँ ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला देखा By Sher << क्या ख़बर मुझ को ख़िज़ाँ ... सफ़र तो पहले भी कितने किए... >> ज़बाँ ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला देखा उस का इज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला देखा Share on: