नाज़ हर बुत के उठा पाए न 'जाफ़र-ताहिर' By Sher << 'ताहिर' ख़ुदा की ... जब भी देखी है किसी चेहरे ... >> नाज़ हर बुत के उठा पाए न 'जाफ़र-ताहिर' चूम कर छोड़ दिए हम ने ये भारी पत्थर Share on: