जब भी देखी है किसी चेहरे पे इक ताज़ा बहार By Sher << नाज़ हर बुत के उठा पाए न ... इक उम्र भटकते हुए गुज़री ... >> जब भी देखी है किसी चेहरे पे इक ताज़ा बहार देख कर मैं तिरी तस्वीर पुरानी रोया Share on: