ज़ाहिद मिरी समझ में तो दोनों गुनाह हैं By Sher << है 'मुनीर' तेरी न... कभी ख़ुद पे कभी हालात पे ... >> ज़ाहिद मिरी समझ में तो दोनों गुनाह हैं तू बुत-शिकन हुआ जो मैं तौबा-शिकन हुआ Share on: