ज़ि-बस ख़ून-ए-ग़लीज़ आँखों से आया By Sher << ज़िंदाँ की तो अपने सैर तू... ज़ि-बस हम को निहायत शौक़ ... >> ज़ि-बस ख़ून-ए-ग़लीज़ आँखों से आया हुईं आख़िर बहम मिज़्गान-ए-तर बंद Share on: