ज़िक्र-ए-अस्लाफ़ से बेहतर है कि ख़ामोश रहें By Sher << तीर ओ कमान आप भी 'मोह... नहीं करते वो बातें आलम-ए-... >> ज़िक्र-ए-अस्लाफ़ से बेहतर है कि ख़ामोश रहें कल नई नस्ल में हम लोग भी बूढ़े होंगे Share on: