ज़िंदाँ में आचानक है ये क्या शोर-ए-सलासिल By Sher << आ रहा होगा वो दामन से हवा... यूँही इंसानों के शहरों मे... >> ज़िंदाँ में आचानक है ये क्या शोर-ए-सलासिल ये 'सालिक'-ए-बेबाक का मातम तो नहीं है Share on: