ज़िंदगी और हैं कितने तिरे चेहरे ये बता By Sher << इक काफ़िर-ए-मुतलक़ है ज़ु... चाहिए थी शम्अ इस तारीक घर... >> ज़िंदगी और हैं कितने तिरे चेहरे ये बता तुझ से इक उम्र की हालाँकि शनासाई है Share on: