ज़िंदगी! तुझ सा मुनाफ़िक़ भी कोई क्या होगा By Sher << बदल गया है ज़माना बदल गई ... आप तशरीफ़ लाए थे इक रोज़ >> ज़िंदगी! तुझ सा मुनाफ़िक़ भी कोई क्या होगा तेरा शहकार हूँ और तेरा ही मारा हुआ हूँ Share on: