जज़्बे की कड़ी धूप हो तो क्या नहीं मुमकिन By Sher << चल 'क़ैसी' मेले म... चाँदनी के हाथ भी जब हो गए... >> जज़्बे की कड़ी धूप हो तो क्या नहीं मुमकिन ये किस ने कहा संग पिघलता ही नहीं है Share on: