जल रहा है जो लब-ए-बाम अभी एक चराग़ By Sher << मिरे ख़मीर से ये काएनात उ... हुसैन आज भी क़ाएम है अपनी... >> जल रहा है जो लब-ए-बाम अभी एक चराग़ बुझ गया ये भी तो फिर रात मुकम्मल होगी Share on: