जले मकानों में भूत बैठे बड़ी मतानत से सोचते हैं By Sher << क़दम रक्खा जो राह-ए-इश्क़... जाँ-बर हो किस तरह तप-ए-सौ... >> जले मकानों में भूत बैठे बड़ी मतानत से सोचते हैं कि जंगलों से निकल कर आने की क्या ज़रूरत थी आदमी को Share on: