सुब्ह आता हूँ यहाँ और शाम हो जाने के बा'द By Sher << क़रीब-ए-मर्ग हूँ लिल्लाह ... दुआएँ याद करा दी गई थीं ब... >> सुब्ह आता हूँ यहाँ और शाम हो जाने के बा'द लौट जाता हूँ मैं घर नाकाम हो जाने के बा'द Share on: