क़रीब-ए-मर्ग हूँ लिल्लाह आईना रख दो By Sher << ये ज़ुल्म देखिए कि घरों म... सुब्ह आता हूँ यहाँ और शाम... >> क़रीब-ए-मर्ग हूँ लिल्लाह आईना रख दो गले से मेरे लिपट जाओ फिर निखर लेना Share on: