ज़माना गुज़रा हवा फिर से याद आने लगा By Sher << आप हों हम हों मय-ए-नाब हो... मेरी हैरत मिरी वहशत का पत... >> ज़माना गुज़रा हवा फिर से याद आने लगा न जाने कौन मुझे ख़्वाब फिर दिखाने लगा Share on: